Equity का मतलब होता है हिस्सेदारी। आप जब भी किसी कंपनी के शेअर्स खरीदते है इसका मतलब आप उस कंपनी की Equity खरीदते है।
आज जब भी कहीं पर बिजनेस, शेअर मार्केट या किसी कंपनी के फाइनेंशियल के बारे में कोई बात हो तो उसमें Equity का जिक्र जरूर आता है। इसी के साथ किसी भी कंपनी कि Balance Sheet हो या शार्क टैंक इंडिया हो उसमें भी आपने Equity के बारे में ज़रूर सुना होगा।
तो आखिर यह Equity होती क्या है? कैसे किसी कंपनी कि इक्विटी तैयार होती है? क्या कंपनी के शेअर्स में और इक्विटी में कोई अंतर होता है? Equity कितने प्रकार की होती है? इन सारे सवालों के जवाब आज हम इस आर्टिकल में देखेंगे।
इक्विटी का मतलब क्या होता है? Equity Meaning in Hindi
Finance और accounting में किसी भी कंपनी के मालिक के हिस्सेदारी को Equity कहते है। यानी की किसी भी बिजनेस/कंपनी में मालिक द्वारा लगाए पैसों से या किसी निवेशक ने लगाएं पैसों से मालिक और निवेशक को बिजनेस/कंपनी की जो हिस्सेदारी प्राप्त होती है उस हिस्सेदारी को ही स्टॉक मार्केट में Equity कहते है।
आसान भाषा में कहा जाएं तो किसी भी कंपनी कि Equity वह हिस्सेदारी होती है जो कंपनी के सारे Liabilities यानी कर्ज़ों को चुकाने के बाद कंपनी के मालिक और निवेशकों के पास रहती है।
Equity को आसानी से समझने के लिए हम एक उदाहरण से इसे समझने कि कोशिश करते है।
मान लेते है आपको एक कंपनी शुरू करनी है। जिसे शुरू करने के लिए आपको 1 करोड़ रुपए की जरूरत है। लेकिन आपके पास कंपनी शुरू करने के लिए अभी सिर्फ 70 लाख रुपए ही उपलब्ध है और बाकी बचा 30 लाख रुपए आपके पास नहीं है।
तो इस केस में आप क्या करेंगे? ऐसे में आपके पास दो रास्ते हैं।
- एक तो आप बैंक से 30 लाख का लोन लेंगे जिसपर आपको ब्याज देना होगा।
- दुसरा आप किसी व्यक्ति से 30 लाख रुपए लेंगे और बदले में उसे अपने कंपनी की हिस्सेदारी देंगे।
अगर आपने कंपनी को शुरू करने के लिए 70 लाख रुपए खुद के और बाकी बचा 30 लाख बैंक से लोन लिया तो इस केस में आपने लगाया 70 लाख उस कंपनी की Equity होगी और बचा 30 लाख उस कंपनी की liabilities यानी कर्ज़ होगा। जिसे Finance की भाषा में Debt भी कहते हैं।
क्योंकि इस कंपनी की पुरी वेल्यू 1 करोड है और इसमें आपने 1 करोड का 70% यानी 70 लाख लगाया है तो आप इस कंपनी के 70% इक्विटी के मालिक बन जाते हैं और बचा 30 लाख उस कंपनी का Debt यांनी कर्ज होगा। यानी यह कर्ज़ कंपनी की Liabilities होगी।
अब जैसे जैसे कंपनी के कर्ज़ यानी 30 लाख के बैंक लोन को आप चुकाएंगे वैसे वैसे आपकी कंपनी में Equity की हिस्सेदारी बढ़ती जाएगी।
अब बात करते है दुसरे केस की जिसमें आप कंपनी शुरू करने के लिए बैंक से लोन ना लेकर किसी व्यक्ति से पैसा लेते है।
आप कंपनी शुरू करने के लिए लोन ना लेकर खुद के 70 लाख और किसी व्यक्ति से 30 लाख रुपए लेते है तो इस केस में आपके कंपनी की Equity कैसे होगी?
क्योंकि यहां पर आपने 1 करोड़ वेल्यु की कंपनी में 70 लाख रुपए आपने लगाए हैं जो एक करोड़ का 70% बनता है तो आपको इस कंपनी की 70% Equity यानी हिस्सेदारी मिलेगी और जिस व्यक्ति ने 30 लाख रुपए लगाए हैं उसे कंपनी की 30% equity हिस्सेदारी मिलेगी। आसान भाषा में 70% आपकी और 30% दुसरे व्यक्ति की (70% + 30% = 100% Equity) आप दोनों में बट जाएगी।
Equity कैसे बनती है?
Equity को समझने का बाद अब बात करते हैं किसी भी कंपनी की Equity बनती कैसे हैं।
किसी भी कंपनी कि Equity दो तरीकों से बनती है।
- Share Capital
- Reserves and Surplus
1. Share Capital : शेअर कैपिटल वह पैसा होता है जो कंपनी ने अपने शेअर्स को बेचकर जुटाया है। यह पैसा कंपनी के Face value के आधार पर जुटाया जाता है। आपको बता दें कि जब कंपनी बनती है तब उसके हर एक शेअर कि वेल्यू तय कि जाती है उसी वेल्यू को Face Value कहते हैं। और जब कंपनी अपने शेअर्स बेचती है तब इसी फेस वैल्यू पर एक्स्ट्रा प्रीमियम लगाकर बेचती है। जिसे शेअर प्रिमियम कहते हैं।
2. Reserves and Surplus : इसमें Reserves का मतलब वह पैसा होता है जिसे कंपनी ने भविष्य में लगने वाले खर्चों के लिए Reserve करके रखा है। Surplus का मतलब कंपनी को अपने प्रोफिट से आया हुआ पैसा है। इसी Reserves and Surplus के कुछ हिस्से से कोई भी कंपनी अपने शेअर धारकों को Dividend देती है।
इन दोनों को मिलाकर कंपनी की Equity तैय्यार होती है।
यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर कोई बिजनेस या कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं है या कहें उसने अपने शेअर्स अभी तक नहीं बेचे हैं तो उस कंपनी के Equity में Share capital नही आएगा।
Equity कितने प्रकार की होती है? Types Of Equity in Hindi
इक्विटी मेनली दो प्रकार की होती है।
1) Equity Shares
Common Shares को हि Equity Shares कहा जाता है। Common शेअर धारकों को कंपनी में वोटिंग करने का अधिकार होता है। साथ ही कंपनी के शेअर में आई वृद्धि का भी फायदा common शेअर होल्डर्स को मिलता है। ज्यादातर लोगों के पास Common share होते है।
2) Preferred Shares
प्रेफरेंस शेअर्स वह शेअर्स होते है जिनमें निवेश करने वाले निवेशकों को ना कंपनी में वोटिंग का अधिकार होता है और नाही कंपनी के शेअर्स में आई वृद्धि का फायदा मिलता है।
लेकिन प्रेफरेंस शेअर धारकों को common शेअर धारकों से पहले और रेग्युलर Divided मिलता है। साथ ही अगर कंपनी बैंक करप्ट यानी दिवालिया हो जाती है तो कंपनी कि सारी संपत्ति को बेचकर जो भी पैसा आएगा उसपर सबसे पहला हक प्रेफरेंस शेअर धारकों का होता है।
इनके अलावा भी इक्विटी उनके मालिकाना हक के आधार पर भी अलग अलग प्रकार पड़ते हैं।
1.Owner Equity :
ओनर इक्विटी वह इक्विटी या कहें हिस्सेदारी होती जो कंपनी/ बिजनेस के मालिक के पास होती है। यानी किसी कंपनी के मालिक ने अपने कंपनी की 100% हिस्सेदारी में से 30% हिस्सेदारी स्टॉक मार्केट में बेच दी तो उसके पास कंपनी की 70% हिस्सेदारी रहेगी जिसे हम owner Equity कहेंगे। owner equity को Promoter Equity भी कहते हैं।
2.Shareholders’ equity :
किसी भी कंपनी के शेअर्स खरीदने के बाद उस कंपनी में आपको जो हिस्सेदारी मिलती है उस हिस्सेदारी को ही shareholders equity कहते हैं। यानी किसी कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को छोड़कर उस कंपनी के निवेशकों के पास जो equity होती है उसे शेअर होल्डर्स इक्विटी कहते है।
Equity को कैसे निकालते हैं?
किसी भी कंपनी कि Equity को निकालने के लिए आप निचे दिए गए Formula का उपयोग कर सकते हैं।
Equity = Total Assets – Total Liabilities
Equity Formula
किसी भी कंपनी कि Equity को निकालने के लिए उस कंपनी के Assets से कंपनी की Liabilities को घटाया जाता है।
इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं।
मान लेते है एक कंपनी है ABC जिसके Balance Sheet में कंपनी के करीब 5 करोड़ के Total Assets हैं और करीब 3 करोड़ की Liabilities है। तो इस कंपनी की Equity होगी…
Equity = Total Assets – Total Liabilities
Equity = 5 Cr – 3 Cr = 2 करोड़
यानी इस कंपनी के पास करीब 2 करोड़ रुपए वेल्यू की Equity है।
किसी भी कंपनी की Equity को जानने के लिए आप उस कंपनी की Balance Sheet को पढ़ सकते है। जिसमें कंपनी के इक्विटी के बारे में विस्तार से जानकारी दी होती है। इसके साथ ही आप किसी Online Financial Website जैसे moneycontrol पर भी कंपनी की Balance sheet को देख सकते है।
Balance Sheet किसी भी कंपनी का वह फाइनेंशियल स्टेटमेंट या कहें कच्चा चिट्ठा होता है जिसमें कंपनी के बारे में हर वह फाइनेंशियल जानकारी मौजूद होती है जिसे जानना हर निवेशक के लिए महत्वपूर्ण होता है।
किसी भी कंपनी की Balance Sheet आप उस कंपनी के Official Website पर जाकर देख सकते है।
इक्विटी और शेअर्स में क्या अंतर होता है? difference between equity and shares
कहीं बार लोग Equity और शेअर्स का मतलब एक ही मानते है। क्योंकि Equity का मतलब हिस्सेदारी होता है और शेअर्स खरीदने के बाद भी हमें कंपनी में हिस्सेदारी मिलती है तो लोगों को यह दोनों एक ही चीज लगती है।
लेकिन ऐसा नहीं है। आपको बता दें कि Equity और Shares यह दोनों अलग अलग चीजें होती हैं। जिनका अलग अलग मतलब होता है।
चलिए इसे आसानी से समझते हैं।
Equity किसी भी कंपनी की हिस्सेदारी होती लेकिन शेअर उस हिस्सेदारी का एक छोटा हिस्सा होता है। Equity हमेशा शेअर्स में उपलब्ध नहीं होती लेकिन शेअर्स इक्विटी का ही एक हिस्सा होते है इसलिए बिना इक्विटी के शेअर्स नहीं बन सकते है।
आसान भाषा में कहें तो जब भी कोई कंपनी बनती है तो उसमें प्रमोटर्स ने डाले पैसों से उन्हें जो हिस्सेदारी मिलती है उसे हम Equity कहते है। इसी हिस्सेदारी को जब स्टॉक मार्केट Public Offering – IPO के जरिए छोटे छोटे हिस्सों में बेचा जाता है तब उन हिस्सों को ही हम शेअर्स कहते हैं।
Equity vs. Shares Infographics
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Difference Table of Equity and Shares
Equity | Shares |
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किसी कंपनी की Equity उस कंपनी के मालिक की हिस्सेदारी को दर्शाती है। जो कभी स्टॉक मार्केट में ट्रेड नहीं होती। | जबकि Share’s कंपनी के हिस्सेदारी के छोटे अंश होते है। जो स्टॉक मार्केट में ट्रेड होते है। |
Equity हमें हर बिजनेस में देखने को मिलती हैं चाहे वह बिजनेस स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हो या ना हो। | लेकिन शेअर्स हमें स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कंपनीयों के ही देखने को मिलते हैं। |
यदि किसी व्यक्ति की 1 करोड़ वेल्यु वाली कंपनी में 1 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी है तो उसे उस कंपनी की 100% Equity Owner कहा जाएगा। | लेकिन अगर उसने किसी कंपनी के 50 हजार रुपए के शेअर्स खरीदे तो उसे उस कंपनी के 50 हजार रुपए के हिसाब से शेअर्स के रूप में उस कंपनी की हिस्सेदारी मिलेगी। |
Equity में निवेश करने का उद्देश्य लंबी अवधि में मुनाफा कमाना होता है। | जबकि Share में निवेश करने का उद्देश्य मार्केट के चढ़ उतार से मुनाफा कमाना होता है। |
सभी इक्विटी को शेअर्स नहीं कहा जाता। | लेकिन सभी शेअर्स इक्विटी होते है। |
Equity में सामान्य लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होती है। | Share’s सामान्य लोगों के लिए उपलब्ध होते हैं। |
इक्विटी मार्केट क्या है? Equity market in Hindi
जिस मार्केट में Equity Share’s की ट्रेडिंग होती है उसे ही इक्विटी मार्केट कहां जाता है। जिसे हम स्टॉक मार्केट या शेअर मार्केट कहते हैं।
क्योंकि किसी भी कंपनी के शेअर्स उस कंपनी के Equity का ही एक हिस्सा होते है। इसलिए उन शेअर्स को Equity शेअर्स कहा जाता है। इसलिए शेअर्स में होने वाली ट्रेडिंग को हम Equity Trading कहते हैं।
जब कोई कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट होती है तब वह अपनी इक्विटी को शेअर्स के रूप में निवेशकों में बेचती है। जिससे कंपनी को पैसा जुटाने में मदद मिलती है और निवेशकों को उस कंपनी की Equity यानी हिस्सेदारी मिलती है।
आसान भाषा में कहें तो शेअर मार्केट को ही “Equity Market” कहा जाता है।
समाप्ति।
इस तरह आज हमने जाना कि equity का मतलब हिस्सेदारी होता है। जो निवेशकों को या प्रमोटर्स को अपने पैसों के बदले में मिलती है। इक्विटी किसी भी कंपनी या बिजनेस के लिए महत्वपूर्ण फाइनेंशियल में से एक होता है।
FAQ About Equity
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इक्विटी का क्या अर्थ होता है?
Equity का हिंदी में अर्थ होता है हिस्सेदारी। यानी की किसी भी कंपनी में मालिक द्वारा लगाए पैसों से या किसी निवेशक ने लगाएं पैसों से मालिक और निवेशक को कंपनी की जो हिस्सेदारी प्राप्त होती है उस हिस्सेदारी को ही स्टॉक मार्केट में Equity कहते है।
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इक्विटी और शेयर में क्या अंतर है?
Equity किसी भी कंपनी की हिस्सेदारी होती लेकिन शेअर उस हिस्सेदारी का एक छोटा हिस्सा होता है।
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Equity को कैसे निकालते हैं?
किसी भी कंपनी कि Equity को निकालने के लिए उस कंपनी के Assets से कंपनी की Liabilities को घटाया जाता है। Equity का Formula है :- Equity = Total Assets – Total Liabilities
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