IPO क्या होता है? कैसे IPO से पैसे कमाए? what is IPO in Hindi

IPO kya hota hai | what is IPO in Hindi
what is ipo in Hindi

IPO का अर्थ होता है Initial public offering यानी जब कोई भी कंपनी पहली बार अपने शेअर्स को स्टॉक मार्केट में पब्लिक को बेचती है तो इसे ही IPO कहा जाता है। बहुत सारे लोग IPO में अपने पैसों को निवेश करके बहुत ही कम समय में अच्छा खासा पैसा कमाते हैं।

बात करें पिछले कुछ सालों कि जैसे कि 2021-22 में आए IPOs कि तो इसमें से कुछ IPO’s ने तो 50% से 100% तक का रिटर्न भी कुछ ही दिनों में निवेशकों को दिया है।

इसलिए लोगों में IPO’s में निवेश करने की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

लेकिन आज भी बहुत सारे लोग ऐसे है जिन्हें stock market और IPOs के बारे में जानकारी नहीं है। इस वजह से वह इसका लाभ नहीं उठा पाते।

इसलिए आज हम इस आर्टिकल में IPO’s के बारे में हर वह जानकारी आपको बताएंगे जो आपको पता होनी चाहिए। जैसे कि IPO का मतलब क्या होता है? कैसे कोई IPO काम करता है? कंपनियां IPO क्यों लाती है? कैसे हम IPO में निवेश करके पैसा कमा सकते है और क्या IPO में निवेश करना सही है? ऐसे ही IPO से जुड़े हर सवाल का जवाब आज हम इस आर्टिकल में देने की कोशिश करेंगे।

IPO Kya Hota Hai? What is IPO in Hindi

IPO यानी Initial public offering एक प्रक्रिया है जिसकी मदद से कंपनीयां पहली बार अपनी कुछ हिस्सेदारी को शेअर्स के रूप में लोगों को बेचतीं है और बदले में लोगों से पैसा जुटाती है।

IPO के जरिए एक Private limited कंपनी पहली बार स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है। यानी पहली बार स्टॉक मार्केट में लिस्ट होती है। जिसके बाद कंपनी के शेअर्स का publicly यानी सार्वजनिक रूप से कारोबार होता है। इस वजह से स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद निवेशक इस कंपनी के शेअर्स को खरीद सकते है और बेच सकते हैं।

आम तौर पर कंपनीयां स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के लिए और लोगों से पैसा जुटाने के लिए IPO लाती है।

IPO Highlights

  • जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को स्टॉक मार्केट के जरिए लोगों को बेचती है तो इस प्रक्रिया को ही IPO कहा जाता है।
  • IPO लाने के लिए कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज और सेबी (SEBI) के कहीं सारे नियमों का पालन करना पड़ता है।
  • कंपनियों के लिए Primary Market में शेयर्स को बेच कर लोगों से पैसा जुटाने का IPO एक अच्छा विकल्प है।
  • IPO लाने के लिए कंपनीयां merchant banker को नियुक्त करती है, जो कंपनी को IPO लाने में मदद करते हैं।
  • IPO में कंपनी के प्रमोटर्स और पहले से मौजूद निवेशक भी अपनी हिस्सेदारी को बेच सकते हैं।

IPO कैसे काम करता है? How IPO works

IPO का मतलब जानने के बाद IPO को और भी अच्छे से समझने के लिए आपको IPO कैसे काम करता है यह समझना ज़रूरी है। इसमें एक IPO कैसे काम करता है, यह समझने से पहले आपको यह जानना चाहिए कि एक कंपनी कैसे तैयार होती है।

जब एक कंपनी तैयार होती है तब उस कंपनी में कंपनी के मालिक के अलावा भी और भी कहीं लोगों का पैसा उस कंपनी में लगा हो सकता है।

जिसमें कंपनी ने निवेश करने वाले शुरुआती निवेशक, कंपनी के मालिक ने अपने दोस्त या रिश्तेदारों से लिया पैसा, किसी बड़े निवेशक से लिया पैसा या किसी Institution से लिया पैसा हो सकता है।

अब जब इन लोगों ने इस कंपनी में अपना पैसा शुरुआती दिनों में निवेश किया होता है तो उन्हें उस पैसे के आधार पर कंपनी की हिस्सेदारी दी जाती है।

लेकिन जब कंपनी का कारोबार बढ़ता है और कंपनी के पास अपने बिजनेस को चलाने के लिए या बिजनेस को बढ़ाने के लिए और पैसों कि जरुरत पड़ती है तब कंपनी को पैसा जुटाने के बारे में सोचना पड़ता है।

कंपनी के पास पैसा जुटाने के कहीं सारे विकल्प होते हैं। जिनमें
1) किसी बैंक से लोन लेके पैसा जुटाना
2) Bond’s या Debentures इश्यू करके पैसा जुटाना
3) किसी बड़े निवेशक या इंस्टीट्यूशन कंपनी से पैसा जुटाना
4) या IPO के जरिए आम लोगों से पैसा जुटाना।

क्योंकि IPO लाने से कंपनी को पैसों के साथ साथ और भी कहीं लाभ होते हैं इसलिए कहीं कंपनीयां IPO के जरिए पैसा जुटाने का निर्माण लेती है।

एक बार जब कोई कंपनी IPO लाने का निर्णय लेती है तो वह सबसे पहले एक मर्चेंट बैंकर (Merchant Banker) कि नियुक्ति करती है। मर्चेंट बैंकर को Book Running Lead Manager के नाम से भी जाना जाता है। इसका काम होता है कंपनी को IPO लाने में मदद करना।

जिसमें कंपनी का ड्यू डिलिजेंस करना, कंपनी के साथ मिलकर IPO के लिए लगने वाला DRHP तैयार करना, शेयर अंडरराइट करना जैसे काम होते हैं। इसके साथ ही मर्चेंट बैंकर कंपनी के IPO के लिए शेअर्स का प्राइज और लॉट साइज़ तय करना, और कंपनी सेबी के सारे नियमों का पालन कर रहीं हैं या नहीं इसे देखना जैसे हर काम मर्चेंट बैंकर करता है।

जब कंपनी के IPO का DRHP तैयार हो जाता है तो इसे SEBI यानी Security exchange bord of India के पास मान्यता (Aproval) के लिए भेजा जाता है।

सेबी से मान्यता मिलने के बाद कंपनी अपना IPO प्रायमरी मार्केट में लोगों के लिऐ खोल देती है। अब यहां से बहुत सारे लोग IPO को Apply करते है। आम तौर पर प्रायमरी मार्केट में IPO तीन दिनों के लिए खुला रहता है।

इसके बाद कंपनी के शेअर्स का Allotment Prosses होता है जिसमें IPO को Apply करने वाले निवेशकों को कंपनी के शेअर्स बांटे जाते हैं।

फिर Listing Day के दिन कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाती है। इस दिन निवेशक जिन्होंने IPO को Apply किया था और जिन्हें कंपनी के शेअर्स Allot हुए थे वह स्टॉक मार्केट में उन शेअर्स को बेच सकते हैं।

आईपीओ लाने कि प्रक्रिया। IPO prosses

जब भी कोई कंपनी IPO लाने का निर्णय लेती है तो कंपनी को कहीं सारी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। जो कुछ इस प्रकार है।

1) Appointment of investment bankers/underwriters :- जब किसी कंपनी को IPO लाना होता है तब वह सबसे पहले एक इन्वेस्टमेंट बैंकर जिसे मर्चेंट बैंकर भी जाना जाता है उसे नियुक्त करती है। इसके साथ ही कंपनी को underwriters यानी हामीदार को भी नियुक्त करना पड़ता है।

2) Submit DRHP :- मर्चेंट बैंकर कंपनी के साथ मिलकर एक डॉक्युमेंट बनाते हैं। जिसमें कंपनी और IPO से जुड़ी सारी जानकारी होती है। जिसे DRHP यानी Draft Red Herring Prospectus को बनाती है और SEBI के पास मान्यता के लिए Submit करती है।

3) SEBI Aproval :- DRHP में दी सारी जानकारी को वेरिफाई करने के बाद SEBI कंपनी को IPO लाने की अनुमति देती है।

4) Application to stock exchange :- सेबी से IPO के लिए अनुमति मिलने के बाद कंपनी कि तरह से स्टॉक एक्सचेंज को एक आवेदन किया जाता है जिसमें कंपनी के शेअर्स स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो सकें।

5) IPO Open :- स्टॉक एक्सचेंज से अनुमति मिलने के बाद कंपनी primary market में अपना IPO निवेशकों को Apply करने के लिए खोल देती है।

6) Share’s Allotment :- इसके बाद शेअर्स का allotment process होता है जिसमें निवेशकों को शेअर्स का वितरण किया जाता है।

7) IPO Listing :- allotment के बाद कंपनी के शेअर्स की लिस्टिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है। लिस्ट होने के बाद निवेशक कंपनी के शेअर्स बेच सकते हैं और खरीद सकते हैं।

IPO से जुड़े महत्वपूर्ण Dates और उनका मतलब।

जब भी कोई कंपनी IPO लाती है तो हमें उससे जुड़े कहीं सारे Date’s यानी तारीखों के बारे में सुनने को मिलता है। इस सारे Date’s का मतलब क्या होता है? चलिए जानते हैं।

  • IPO Opening Date :- यानी जिस दिन से IPO खुल रहा है या कहें जिस दिन से लोग IPO के लिए बोली लगा सकते हैं वह तारीख।
  • IPO Close Date :- जिस दिन IPO बोली लगाने के लिए बंद हो जाएगा वह तारीख।
  • Allotment Date :- जिस दिन निवेशकों को शेअर्स वितरित होंगे वह तारीख।
  • Refund Date :- जिन निवेशकों को शेअर्स Allot नहीं हुए उन निवेशकों के पैसों Refund कि तारीख़।
  • Credit to Demat Account Date :- जिस दिन allot हुएं शेअर्स निवेशकों के डिमैट अकाउंट में जमा होंगे वह तारीख।
  • Listing Date :- Listing Date वह तारीख होती है जिस दिन कंपनी के शेअर्स स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं।

IPO लाने का कारण और उद्देश्य। Why companies issue IPO

वैसे IPO लाने के पीछे कंपनी के कहीं सारे कारण और उद्देश्य हो सकतें हैं। लेकिन हर कंपनी का IPO लाने लाने के पीछे का एक मुख्य उद्देश्य होता है, और वह है लोगों से पैसा जुटाना।

अब यह पैसा कंपनी क्यूं जुटा रही है इसके पीछे अलग- अलग कारण हो सकते हैं।

ज्यादातर कंपनियों के IPO लाने के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार है :

1) पैसा जुटाने के लिए / to raise money :- हर कंपनी का IPO लाने का मुख्य उद्देश्य होता है मार्केट से पैसा जुटाना। जब कंपनी को अपने बिजनेस को चलाने के लिए या अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए और पैसों कि जरुरत पड़ती है तो ऐसे में कंपनी IPO लाने का फैसला ले सकती है।

2) Exit for Existing Investors :- IPO लाने का दुसरा सबसे बड़ा कारण होता है कंपनी के मौजूदा निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए यही उन्हें Exit देने के लिए कहीं सारी कंपनीयां IPO लाती है।

3) ESOPs :- कुछ कंपनीयां अपने कर्मचारियों के लिए ESOPs यानी employee stock ownership plan प्रदान करती है। ऐसे कर्मचारियों को ESOPs अच्छे से लाभ मिले इसके लिए भी कंपनीयां IPO लाती है।

4) Goodwill or Branding :- IPO लाने से और स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होने से कंपनी कि मार्केट में अपनी पहचान और अच्छी branding होती है। इसलिए कहीं कंपनीयां IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में लिस्ट होती है।

5) Debt Repay :- कहीं सारी कंपनीयां अपने बिजनेस को चलाने के लिए बहुत सारे कर्ज लेती है और अपने बिजनेस को बढ़ाती है। ऐसे में जब इन कंपनियों को कर्ज चुकाना हो तो वह IPO से पैसा जुटाने का फैसला ले सकती है।

IPO के प्रकार। Types of IPO in Hindi

IPO मुख्य दो प्रकार के होते हैं। जिसमें Fixed Price Offering और Book Building Offering ऐसे दो प्रकार आते है। अब इनका मतलब क्या होता है चलिए जानते हैं।

IPO का अर्थ और प्रकार। IPO meaning, Definition and types in hindi
IPO का अर्थ और प्रकार।

इनके मतलब को जानने से पहले आपको बता दें कि जब भी कोई कंपनी अपना IPO का Offer लाती है तो वह एक निश्चित शेअर्स के लॉट के साथ इसे ऑफर करती है। यानी निवेशक को कम से कम कितने शेअर्स एक साथ खरीदना है यह कंपनी पहले से तय करती है।

इसे आप शेअर्स का एक बंडल भी कह सकते हैं जिसमें कंपनी ने तय किए शेअर्स होते हैं। इसके साथ ही कंपनी इस लॉट के शेअर्स का प्राइज भी पहले से तय करती है। अब इस प्राइज के आधार पर ही IPOs के दो प्रकार होते हैं।

1. Fixed Price Offering

जब कोई कंपनी लॉट के शेअर्स को एक फिक्स (Fixed) प्राइज पर लाती है तो ऐसे IPO’s को Fixed Price Offering कहा जाता है। यानी इसमें आप कंपनी ने जो एक प्राइज तय की है उसी प्राइज पर शेअर्स के लिए बोली लगा सकते हैं।

उदाहरण के लिये एक कंपनी ने अपने 100 शेअर्स 50 रूपए प्राइज पर इश्यू किए तो निवेशकों को 100 शेअर्स 50 रुपए प्राइज पर ही खरीदने होंगे।

2. Book Building Offering

इस प्रकार के IPO में कंपनी IPO के लिए बोली लगाने के लिए निवेशकों Floor Price से Upper Price का विकल्प देती है। इसमें निवेश करने के लिए निवेशक के पास कंपनी ने तय किया प्राइज बैंड में से किसी एक प्राइज का चुनाव करने का विकल्प होता है।

उदाहरण के लिए एक कंपनी ने अपने 100 शेअर्स 50-55 रूपए पर इश्यू किए तो इसमें निवेशक 50 रूपए से 55 रूपए तक अपने हिसाब से शेअर्स के लिए बोली लगा सकता है।

IPO में निवेश करने वाले निवेशकों के प्रकार। Types of IPO Investor’s

जब कोई भी कंपनी IPO लाती है तो वह उस IPO का हिस्सा अलग अलग निवेशकों के लिए अलग-अलग प्रतिशत के आरक्षण के साथ लाती है।

क्योंकि स्टॉक मार्केट में सिर्फ सामान्य लोग ही IPO को Apply नहीं करते इनके साथ बड़े बड़े निवेशक और कंपनीयां भी IPO में निवेश करती है। इसलिए IPO लाने वाली कंपनी अपने IPO का कुछ हिस्सा हर प्रकार के निवेशकों के लिए पहले से आरक्षित करती है।

IPO में निवेश करने वाले निवेशकों के कुछ प्रकार इस प्रकार है :-

1) Qualified Institutional Buyers (QIB) :- QIBs निवेशकों में बड़ी बड़ी कंपनियां, संस्था और AMC’s आती है। जैसे कि सेबी लिस्टेड वित्तीय संस्थान, म्यूचुअल फंड कंपनीज़, बैंक जैसी बड़ी कंपनियां QIBs कहलाती है।

2) Non-Institutional Investors(NII) :- NIIs ऐस व्यक्तिगत निवेश होते हैं जो 2 लाख रुपए है अधिक IPO में निवेश करते है। इनमें Retail Individual Investors (HNI), NRIs, Companies, Trusts, etc निवेशक आते है।

3) Retail Individual Investors(RII) :- रिटेल निवेश का मतलब होता आम जनता जो IPO में 2 लाख रुपए से कम निवेश करते है।

4) Employee (EMP) :- कुछ कंपनीयां अपने कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए भी IPO का कुछ हिस्सा आरक्षित रखती है। ऐसे आरक्षण से कोई कर्मचारी IPO को apply करता है तो Employee के आरक्षण से शेअर्स की Allotment होती है।

IPO के लाभ और नुकसान। IPO Advantages and Disadvantages

जैसे पैसों को कहीं पर निवेश करने से हमें कुछ लाभ होता है वैसे ही उसमें निवेश करना जोखिम भरा भी हो सकता है। ऐसे ही IPO में निवेश करने के कुछ लाभ है तो नुकसान या कहें जोखिम भी शामिल है जिन्हें IPO में निवेश करने से पहले जानना हर निवेशक के लिए जरूरी है।

IPO के लाभ। Advantages of IPO

IPO में निवेश करने के कुछ लाभ इस प्रकार है :-

1) Listing Gain :- जब आप किसी अच्छे कंपनी के IPO में निवेश करते हैं तब ऐसी कंपनी के शेअर्स स्टॉक मार्केट में लिस्ट होते ही निवेशकों को अच्छे रिटर्न्स मिलने की संभावना होती है। इसलिए ज्यादातर लोग IPO में निवेश करते हैं।

2) कम समय :- क्योंकि ज्यादातर IPOs ओपन होने के बाद दस से पंद्रह दिन के अंदर स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाते हैं इसलिए निवेशकों को कम समय में ही अच्छा रिटर्न मिलता है।

3) कम पैसों कि जरूरत :- ज्यादातर कंपनीज़ के IPO में निवेश करने के लिए निवेशकों को कम से कम 15,000 रूपए कि जरूरत पड़ती है। इसलिए हर छोटा निवेशक इसमें निवेश कर सकता है।

4) कंपनी ने शुरुआती निवेश का मौका :- कोई भी कंपनी जब IPO लाती है तब निवेशकों के पास एक मौका होता है उस कंपनी में शुरुआती तौर से निवेश करने का। स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होने के बाद अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है तो लॉन्ग टर्म में निवेशकों को बहुत अच्छे रिटर्न्स मिलते हैं।

IPO के नुक़सान। Disadvantage of IPO

जैसे पैसों को कहीं पर निवेश करने के लाभ होते हैं वैसे ही हर प्रकार के निवेश पर जोखिम भी शामिल होता हैं। इसी तरह IPO में निवेश करने के कुछ लाभ है तो कुछ जोखिम भी होते हैं। जिन्हें IPO में निवेश करने से पहले जानना हर निवेशक के लिए जरूरी है।

IPO में निवेश करने के कुछ नुक़सान इस प्रकार है :-

1. Share’s Allotment :- IPO को apply करने का एक नुकसान यह है कि IPO को apply करने के बाद भी आपको शेअर्स allot होंगे यानी शेअर्स मिलेंगे या नहीं यह निश्चित नहीं होता और जब तक शेअर्स का Allotment Prosess पुरा नही होता तब तक आपके पैसे बैंक में Block रहते हैं यानी इन पैसों का आप इस्तेमाल नहीं कर सकते। Allotment Prosess के बाद अगर आपको शेअर्स नहीं मिले तो आपके पैसों को फिर से Unblock कर दिया जाता है।

2. Market Risk :- IPO में निवेश करने का एक और नुकसान यह है कि IPO लाने वाली कंपनी फंडामेंटली अच्छी हो लेकिन IPO पर मार्केट के स्थिति का असर पड़ता है। इसलिए ज्यादातर कंपनियां तेजी में ही अपना IPO लाने की कोशिश करती है।

3. High valuation :- कहीं बार कंपनियां अपनी कंपनी कि valuation को बढ़ाने के लिए अपना IPO High valuation पर यानी महंगें दामों पर लेके आती है। ऐसी कंपनी में निवेश करने से निवेशकों को भारी नुक़सान हो सकता है। इसलिए किसी भी IPO में निवेश करने से पहले कंपनी अपना IPO किस वैल्यूएशन पर ला रही है यह देखना चाहिए।

IPO में इस्तेमाल होने वाले शब्द और उनके अर्थ।

जब भी कोई IPO आता है तो न्यूज़ में या कहीं भी हमें उससे जुड़े कहीं शब्द सुनने को मिलते हैं जिनका मतलब हमें पता नहीं होता है। ऐसे कहीं सारे शब्द और उनका मतलब आज हम यहां पर देखेंगे।

शब्दअर्थ और मतलब
Listing GainListing Gain का मतलब होता है जिस दिन IPO या कहें कंपनी के शेअर्स स्टॉक मार्केट में लिस्ट होते हैं उस दिन निवेशकों को जो रिटर्न मिलता है उसी को Listing Gain कहा जाता है।
IPO GMPIPO GMP का मतलब होता है IPO का Grey Market Premium. जब भी कोई कंपनी अपना IPO लाती है तब इसके शेअर्स को गैरकानूनी तरीके से खरीदा बेचा जाता है। इसमें शेअर्स को जिस प्राइज पर खरीदा और बेचा जाता है उसी को Grey Market Premium कहा जाता है।
IPO Subscription Statusइसका मतलब होता है कंपनी के IPO को कितने लोगों ने apply किया है या कहें IPO के लिए कितने निवेशकों ने बोली लगाई है यह हमें IPO Subscription Status देखकर पता चलता है।
जब कंपनी ने इश्यू किए IPO के साइज़ से कम लोग बोलीं लगाते है तो उसे Under Subscription कहा जाता है। और जब लोग IPO के इश्यू साइज़ से ज्यादा बोली लगाते है तब उसे Oversubscription कहा जाता है।
Lot Sizeजब कंपनी IPO लाती है तब वह अपने शेअर्स को एक एक बंडल इश्यू करतीं हैं। जिसमें हर बंडल में एक निश्चित शेअर्स होते हैं। ऐसे शेअर्स के एक बंडल को एक लॉट कहा जाता है। निवेशक ऐसे कहीं सारे लॉट के लिए Apply कर सकते हैं।
Price Bandइसका मतलब होता है कंपनी अपने शेअर्स को Apply करने के लिए minimum price और maximum price तय करती है उसी को Price Band कहते हैं।
Issue Sizeइसका मतलब होता है कंपनी IPO के जरिए कितने रूपए जुटाने वाली है। यानी IPO कंपनी के IPO के साइज़ को ही Issue Size कहते हैं।
DRHPDRHP का Full Form होता है Draft Red Herring Prospectus। यानी जब कंपनी IPO लाने के लिए IPO के बारे में और कंपनी के बारे में सारी जानकारी ड्राफ्ट Format एक रिपोर्ट सेबी के पास एक जमा करती है तो उसे ही DRHP कहा जाता है।
RHPजब कंपनी ने सेबी के पास submit किए DRHP को मंजूरी मिल जाती है तो उसी DRHP को RHP कहा जाता है।
OFSका मतलब होता है Offer For Sale। जब कोई कंपनी अपने मौजूदा निवेशकों को Exit देने के लिए IPO लाती है तो ऐसे IPO को ही OFS – Offer For Sale कहा जाता है।
IPO releted words

IPO में Invest करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

IPO में निवेश करने से पहले हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम IPO में किस लिए निवेश कर रहे हैं। यानी कुछ लोग सिर्फ लिस्टिंग गेन के लिए IPO में निवेश करते है तो कुछ लोग Long Term के लिए IPO में निवेश करते है। आज हम दोनों तरह के निवेश के लिए किन चीजों को देखना जरूरी है यह देखेंगे।

Long Term के लिए IPO में निवेश करने से पहले इन चीजों को देखना जरूरी है :

  • अगर आप long term के लिए किसी IPO में निवेश करना चाहते हैं तो आपको कंपनी के Financials को अच्छे से समझना चाहिए। कंपनी प्रोफिट में है या नहीं है इसे देखना चाहिए।
  • कंपनी कौन सा बिजनेस करती है और क्या भविष्य में उस बिजनेस से कंपनी को लाभ होगा या नहीं यह आपको देखना चाहिए।
  • कंपनी का IPO लाने के पीछे का कारण क्या है? यह जानना जरूरी है, क्योंकि कहीं कंपनीयां सिर्फ क़र्ज़ चुकाने के लिए और निवेशकों को Exit देने के लिए ही IPO लाती है।
  • IPO में निवेश करने से पहले कंपनी के Financial, manegement, भविष्य कि योजनाएं कंपनी के बारे अच्छे से फंडामेंटल रिसर्च निवेशकों को करनी चाहिए।
  • कंपनी के बारे में और IPO के बारे में सारी जानकारी के लिए आपको कंपनी द्वारा जारी किए जाने वाले DRHP और RHP को पढ़ना चाहिए।

अगर आपको IPO में सिर्फ listing gain के लिए निवेश करना है तो नीचे दिए गए चीजों को देख सकते है।

  1. IPO Issue Size
  2. IPO Subscription Status
  3. Grey Market Premium IPO
  4. Market Direction
  5. IPO Open days
  6. Investors Category

अगर आपको सिर्फ लिस्टिंग गेन के लिए IPO को apply करना हो तो आप ऊपर दिए गए चीजों को देखना जरूरी है। इन्हें कैसे देखना है और इनमें क्या देखना है इसपर हमने पहले से एक आर्टिकल लिखा है जिसे देखने के लिए यहां क्लिक करें।

IPO को Apply कैसे करें। How to invest in IPO

किसी भी कंपनी के IPO को apply करने के लिए आपके पास एक डिमैट अकाउंट होना जरूरी है। तभी आप IPO को Apply कर सकते हैं।

डिमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जहां पर आपके शेअर्स रहते हैं। डिमैट अकाउंट एक वॉलेट कि तरह होता है जहां पर आपके शेअर्स डिजिटली स्टोर किए जाते हैं।

डिमैट अकाउंट खोलने के लिए किसी भी स्टॉक ब्रोकर से अपना Demat Account Online आसानी से खोल सकते हैं। भारत में Zerodha सबसे बड़ा और अच्छा स्टॉक ब्रोकर है जहां पर आप आसानी से अपना डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं।

डिमैट अकाउंट खोलकर आप ना सिर्फ IPO को apply कर सकते हैं बल्कि अप स्टॉक मार्केट में लिस्टेड सभी कंपनीयों में निवेश भी कर सकते हैं। साथ ही आप उनके शेअर्स में ट्रेडिंग भी कर सकते हैं।

अगर आपको Demat Account खोलने से संबंधित कोई प्रश्न हो या इस पोस्ट से रिलेटेड कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट में सवाल पूछ सकते हैं।

क्या आपको आईपीओ में निवेश करना चाहिए?

IPO में निवेश करना चाहिए या नहीं यह पुरी तरह आप पर निर्भर करता है। अगर आपको स्टॉक मार्केट की अच्छी जानकारी है और आप उतना जोखिम ले सकते हैं तो आप IPO में निवेश कर सकते हैं।

लेकिन अगर आपको स्टॉक मार्केट के बारे में कुछ भी नॉलेज नहीं है और सिर्फ पैसा कमाने के लिए किसी के कहने पर IPO में निवेश करते है तो आपका नुकसान होने कि संभावना बढ़ जाती है। इसलिए कहीं पर भी चाहें वह IPO हो या और कोई साधन अपने पैसों को निवेश करने से पहले उसके बारे में जरूर जानकारी लेना आवश्यक है।

अगर बात करें IPO में निवेश करना सही है या ग़लत तो यहां पर आपको बता दें कि अगर आप ने उपर बताए सभी चीजें को ध्यान में रखते हुए किसी IPO में निवेश किया है तो इस निवेश को आप सही निवेश मान सकते हैं।

निवेशकों के लिए IPO एक अच्छा तरीका है कम समय में अपने पैसों को बढ़ाने का।

सारांश।

IPO एक प्रोसेस है कंपनी के शेअर्स को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करने की और लोगों से पैसा जुटाने की। IPO में निवेश करके निवेशक कम समय में अच्छा रिटर्न कमाने की अपेक्षा करते है लेकिन IPO का प्रदर्शन अलग-अलग चीजों पर निर्भर करता है। जिन्हें जानकर ही निवेशक को किसी IPO में निवेश करना चाहिए।

FAQ About IPO

  1. शेयर मार्केट में IPO क्या होता है?

    IPO का अर्थ होता है Initial public offering यानी जब कोई भी कंपनी पहली बार अपने शेअर्स को स्टॉक मार्केट में पब्लिक को बेचती है तो इसे ही IPO कहा जाता है। बहुत सारे लोग IPO में अपने पैसों को निवेश करके बहुत ही कम समय में अच्छा खासा पैसा कमाते हैं।

  2. IPO कैसे खरीदे और बेचे जाते हैं?

    IPO में निवेश करने के लिए आपको किसी स्टॉक ब्रोकर से डिमैट अकाउंट खोलना होता है। फिर उस अकाउंट से के जरिए आप किसी भी कंपनी के IPO को आसानी से खरीदा और बेच सकते हैं।

  3. IPO से पैसा कैसे कमाते हैं?

    जब निवेशक IPO में Issue शेअर्स को कम दाम में खरीदते हैं और यह शेअर्स स्टॉक मार्केट में ज्यादा दाम पर लिस्ट होते हैं तो निवेशक उन्हें बेचकर कम समय में ही अच्छा रिटर्न कमाते हैं।

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