प्रेफरेंस शेअर्स का मतलब | Preference Shares Meaning in Hindi

प्रेफरेंस शेअर्स का मतलब | Preference Shares Types and Meaning in Hindi

किसी भी कंपनी के Preference Shares उस कंपनी के Common Share से ज्यादा सुरक्षित और निश्चित Dividend देने वाले शेअर्स होते है। जिन्हें preferred stock’s के नाम से भी जाना जाता है।

जब भी किसी कंपनी को शेअर्स जारी करने हो तो वह मुख्य रूप से दो प्रकार के शेअर्स जारी कर सकती है। जिनमें Equity Share’s और Preference shares हो सकते हैं। प्रेफरेंस शेअर्स कंपनी तब इश्यू करती है जब कंपनी को कम समय में पैसा जुटाना हो। निवेशकों को मिलने वाले अलग अलग अधिकारों के आधार पर प्रेफरेंस शेअर्स और इक्विटी शेअर्स में अंतर किया जाता है।

तो यह Preference shares होते क्या है? कैसे यह common share से अलग होते हैं और Preference shares कितने प्रकार के होते हैं? इन सारे सवालों के जवाब आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे।

प्रेफरेंस शेअर्स का मतलब | preference shares meaning in hindi

Preference Shares वह शेअर्स होते है जिन शेअर्स के साथ कंपनी शेअर धारकों को कुछ खास अधिकार देती है।

किसी भी कंपनी के प्रेफरेंस शेअर धारकों को सामान्य शेअर धारकों से पहले डिविडेंड दिया जाता है। जहां पर सामान्य शेअर धारकों को डिविडेंड देना या ना देना निश्चित नहीं होता वही पर प्रेफरेंस शेअर धारकों को एक निश्चित डिविडेंड दिया जाता है।

कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति में भी सामान्य शेअर धारकों से पहले प्रेफरेंस शेअर धारकों का भुगतान किया जाता है। साथ ही सामान्य शेअर धारकों को कंपनी में वोटिंग का अधिकार होता है। लेकिन प्रेफरेंस शेअर धारकों को यह अधिकार नहीं मिलता है।

कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार, भारतीय कंपनियां दो प्रकार के शेयर इश्यू करती हैं, जिन्हें Equity Share और Preference Shares कहा जाता है।

Equity Shares सामान्य शेअर्स होते हैं जिन्हें हम और आप जैसे रिटेल निवेश खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन कंपनीयां Preference Shares को कुछ चुनिंदा निवेशकों के लिए ही जारी करती है। इनमें बड़े निवेशक, Institution’s, प्रमोटर्स, mutual fund companies जैसे निवेशक ही निवेश करते है।

प्रेफरेंस शेअर जारी करते समय कंपनीयां निवेशकों को कितना डिविडेंड देना है यह पहले से तय करती है। यह डिविडेंड प्रेफरेंस शेअर धारकों को निश्चित किए समय पर मिलता रहता है।

Preference Shares को Equity Shares में Convert यानी परिवर्तित किया जा सकता है। साथ ही कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार भारत में किसी भी Preference Shares को उनके इश्यू करने के 20 साल के अंदर Redeem करना अनिवार्य है। यानी इसमें कंपनी को प्रेफरेंस शेअर के Maturity Date पर या 20 साल से पहले निवेशकों से प्रेफरेंस शेअर्स वापिस खरीद लेना जरूरी है।

प्रेफरेंस शेअर की विशेषताएं | Features Of Preference Shares

प्रेफरेंस शेअर्स सामान्य शेअर्स से कुछ अधिक अधिकार देने वाले और विशेष प्रकार के होते है। इनकी विशेषताएं कुछ इस प्रकार है।

  • डिविडेंड में प्राथमिकता :- Preference Share धारकों को सामान्य शेअर धारकों से पहले डिविडेंड देने की प्राथमिकता होती है। यानी प्रेफरेंस शेअर धारकों को सामान्य शेअर धारकों से पहले डिविडेंड दिया जाता है।
  • निश्चित डिविडेंड :- प्रेफरेंस शेअर धारकों को एक निश्चित तय किया डिविडेंड मिलता है। यानी सामान्य शेअर धारकों को डिविडेंड देना या ना देना यह कंपनी के प्रॉफिट पर निर्भर करता है लेकिन कंपनी को प्रॉफिट हो या लॉस प्रेफरेंस शेअर धारकों को निश्चित किया डिविडेंड मिलता रहता है।
  • संपत्ति पर पहला हक :- कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति यानी कंपनी के सारी संपत्ति को बेचने के बाद प्रेफरेंस शेअर धारकों का पहले भुगतान किया जाता है। बाद में सामान्य शेअर धारकों को किया जाता है।
  • मतदान का अधिकार :- जहां पर सामान्य शेअर धारकों को कंपनी में मतदान करने का अधिकार होता है वहीं पर प्रेफरेंस शेअर धारकों को यह अधिकार नहीं मिलता है। यानी प्रेफरेंस शेअर धारकों को कंपनी में मतदान का अधिकार नहीं होता है।

प्रेफरेंस शेअर्स के प्रकार | Types Of Preference Shares

प्रेफरेंस शेअर्स के अलग अलग प्रकार के होते हैं, जो कुछ इस तरह है :

Types Of Preference Shares | प्रेफरेंस शेअर्स के प्रकार

1. Cumulative preference share :

यह एक विशेष प्रकार के प्रेफरेंस शेअर्स होते हैं। यह शेअर्स जारी करने वाली कंपनी अगर किसी साल लॉस के कारण प्रेफरेंस शेअर धारकों को डिविडेंड नही दे पाती है तो अगले साल जब कंपनी को प्रॉफिट होगा तब उस साल के डिविडेंड के साथ कंपनी को पिछले साल का डिविडेंड भी प्रेफरेंस शेअर धारकों को देना पड़ता है। यानी इस प्रकार के शेअर्स में निवेशकों को एक निश्चित डिविडेंड मिलता रहता है।

2. Non-cumulative preference shares :

इस प्रकार के प्रेफरेंस शेअर्स में कंपनी पिछले सालों का रहा डिविडेंड निवेशकों को नहीं देती है। यानी किसी कारण कंपनी किसी साल डिविडेंड नही दे पाईं तो वह डिविडेंड निवेशकों को अगले साल नहीं मिलेगा।

3. Participating preference shares :

पार्टिसिपेटिंग प्रेफरेंस शेअर्स वह शेअर्स होते हैं जिनसे निवेशकों को प्रेफरेंस शेअर्स के साथ साथ सामान्य शेअर धारकों के भी कुछ अतिरिक्त फायदे (Benifits) मिलते हैं। जैसे कि अगर कंपनी ने सामान्य शेअर धारकों को प्रेफरेंस शेअर धारकों से अधिक डिविडेंड दिया तो यह अधिक डिविडेंड Participating Preference Share धारकों भी दिया जाता है। इसके साथ ही कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति में इन शेअर धारकों को निवेश की राशि के साथ साथ सामान्य शेअर धारकों को होने वाले भुगतान के भी पात्र होते हैं।

4. Non-participating preference shares :

इस तरह के शेअर्स में शेअर धारकों को सामान्य शेअर धारकों को मिलने वाला कोई भी लाभ Benifits नहीं मिलते है। इनके शेअर धारकों को कंपनी ने निश्चित किया डिविडेंड ही मिलता रहता है।

5. Redeemable Preference Shares :

यह वह प्रेफरेंस शेअर्स होते हैं जिन्हें कंपनी maturity period यानी परिपक्वता अवधि के बाद निवेशकों से खरीद लेती है। यानी किसी कंपनी ने 10 साल के लिए प्रेफरेंस शेअर्स इश्यू किए तो दस साल बाद कंपनी इन शेअर्स को निवेशकों से खरीद लेती है, और निवेशकों उनका निवेश किया पैसा वापिस करती है। यानी ऐसे शेअर्स जिन्हें कंपनी maturity date के साथ इश्यू करती है तो उन्हें हम Redeemable Preference Shares कहते है।

6. Non-redeemable Preference Shares :

इस तरह के शेअर्स वह शेअर्स होते हैं जिन्हें कंपनी कभी वापिस नहीं लेती है। यह शेअर्स कंपनी के तरफ से पुरे जीवन काल के लिए जारी करती है। कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति में ही इन शेअर धारकों का भुगतान किया जा सकता है।

7. Convertible Preference Shares :

यह वह शेअर्स होते हैं जिन्हें आसानी से इक्विटी शेअर्स में Convert यानी परिवर्तित किया जा सकता है।

8. Non-convertible Preference Shares :

यह वह शेअर्स होते हैं जिन्हें सामान्य शेअर्स में परिवर्तित यानी convert नहीं किया जा सकता।

Difference between preference share and equity shares

प्रेफरेंस शेअर्स और इक्विटी शेअर्स में अंतर :

Preference shareEquity shares
प्रेफरेंस शेयरधारकों को इक्विटी स्टॉकहोल्डर्स से पहले डिविडेंड प्राप्त होता है।सभी देनदारियों का भुगतान करने के बाद, इक्विटी शेयरधारक डिविडेंड प्राप्त करते हैं।
प्रेफरेंस शेअर धारकों का डिविडेंड दर निश्चित होता है।इक्विटी शेयर धारकों का डिविडेंड दर कंपनी के मुनाफे के आधार पर बदलता रहता है।
कंपनी ने जारी किए बोनस शेअर्स प्रेफरेंस शेअर धारकों को नहीं मिलते।कंपनी ने जारी किया बोनस शेअर्स इक्विटी शेयर धारकों को मिलते हैं।
कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति में इक्विटी शेयर धारकों से पहले प्रेफरेंस शेअर धारकों का भुगतान किया जाता है।कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति में प्रेफरेंस शेअर धारकों के बाद इक्विटी शेयर धारकों का भुगतान किया जाता है।
प्रेफरेंस शेअर धारकों को कंपनी में मतदान का अधिकार नहीं होता है।इक्विटी शेअर धारकों को कंपनी में मतदान का अधिकार होता है।

Advantage Of Preference shares | प्रेफरेंस शेअर्स के लाभ

प्रेफरेंस शेअर्स के लाभ :

  • निश्चित डिविडेंड :- प्रेफरेंस शेअर्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसपर निवेशकों को एक निश्चित डिविडेंड मिलता है। भले ही कंपनी प्रॉफिट में हो या ना हो।
  • परिवर्तनीय :- क्योंकि भारत में सिर्फ परिवर्तनीय प्रेफरेंस शेअर इश्यू किए जाते हैं, इसलिए प्रेफरेंस शेअर धारक अपने शेअर्स को आसानी से इक्विटी शेअर्स में परिवर्तित कर सकते हैं।
  • सुरक्षित :- कंपनी की दिवालिया होने कि स्थिति में इक्विटी शेयर धारकों से पहले प्रेफरेंस शेअर धारकों का भुगतान किया जाता है। इसलिए यह इक्विटी शेअर्स से ज्यादा सुरक्षित निवेश होता है।
  • प्राथमिकता :- कंपनी के लिक्विडेशन की स्थिति में कंपनी के संपत्ति के भुगतान में इक्विटी शेयर धारकों से पहले प्रेफरेंस शेअर धारकों को प्राथमिकता दी जाती है।

Disadvantage of Preference shares | प्रेफरेंस शेअर्स के नुकसान

प्रेफरेंस शेअर्स के नुकसान :

  • मतदान अधिकार : प्रेफरेंस शेअर धारकों को कंपनी में किसी भी प्रकार से मतदान का अधिकार नहीं मिलता है।
  • Bonus Share : प्रेफरेंस शेअर धारकों को कंपनी ने जारी किया कोई भी बोनस शेअर्स प्राप्त नहीं होते।
  • No Selling : प्रेफरेंस शेअर्स को स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा नहीं जा सकता।
  • मालिकाना हक : प्रेफरेंस शेअर्स को अधिक लाभ मिलता है लेकिन वह किसी भी तरह से कंपनी के वास्तविक मालिक नही होते है।

सारांश

Preference Share धारकों को कंपनी ने जारी किए डिविडेंड पर और कंपनी के संपत्ति पर इक्विटी शेयर धारकों से पहले Preferred यानी प्राथमिक दी जाती है, इसलिए इन्हें प्रेफरेंस शेअर्स के नाम से जाना जाता है।

FAQ About Preference Shares

  1. प्रेफरेंस शेअर्स का मतलब क्या होता है?

    जिन शेअर धारकों को कंपनी के डिविडेंड और संपत्ति के भुगतान में प्राथमिकता या सबसे पहले Preferred किया जाता है उन्हें Preference Shares कहा जाता है।

  2. प्रेफरेंस शेयर और इक्विटी शेयर में क्या अंतर है?

    प्रेफरेंस शेअर्स पर निवेशकों को एक निश्चित डिविडेंड मिलता है। जबकि इक्विटी शेअर्स पर निवेशकों का डिविडेंड कंपनी के मुनाफे पर कम ज्यादा हो सकता है।

  3. कंपनी प्रेफरेंस शेअर्स क्यों इश्यू करती है?

    कम समय में पैसा जुटाने के लिए कंपनी प्रेफरेंस शेअर्स इश्यू करती है।

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