Capital Market Meaning in Hindi | Capital Market क्या होता है?

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Capital Market in Hindi : जब भी हम कहीं financial news पड़ते या सुनते है तो उसमें हमें कहीं सारे मार्केट के नाम सुनने को मिलते है। इसमें हमें financial market, money market, capital market और stock market जैसे नाम सुनने को मिलते है।

आखिर इन सबका मतलब क्या होता है? कैसे यह सारे मार्केट कैपिटल मार्केट से अलग होते है। कैपिटल मार्केट से जुड़ी हर जानकारी आज हम यहां पर देखेंगे।

capital market in hindi
Capital Market kay hota hai

capital market को समझने से पहले हम मार्केट किसे कहते है यह समझते है।

मार्केट एक ऐसी जगह होती है जहां पर बहुत सारे बायर और सेलर मिलते है। जैसे सब्जी मार्केट जहां पर सब्जियां मिलती है। इलेक्ट्रॉनिक मार्केट जहाँ पर इलेक्ट्रॉनिक सामान मिलता है। ऐसे ही बहुत सारे मार्केट होते है।

इसी तरह जहां पर किसी भी प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स कि (Buying or Selling) खरीद और बिक्री होती है उसे हम फायनांस की भाषा में Financial Market कहते है।

फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स का मतलब शेअर्स, बॉन्ड्स, T – Bill’s इत्यादि।

फाइनेंशियल मार्केट के दो प्रकार होते है।

  1. Money Market
  2. Capital Market

Money Market में वह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स आते है जिनके जरिए कंपनीज़ और सरकार short term के लिए Fund’s जुटाती है। शॉर्ट टर्म का मतलब एक साल से कम अवधि के लिए लिया गया पैसा होता है।

कंपनीज़ और सरकार शॉर्ट टर्म के लिए लगने वाले पैसों कि जरुरत को पूरा करने के लिए मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि सर्टिफिकेट औफ डिपॉजिट, कमर्शियल पेपर्स, रि पर्चेस अग्रीमेंट.. इनके जरिए शॉर्ट टर्म के लिए पैसा borrow करती है। यानी उधार लेती है।

money market का लेनदेन ज्यादातर बैंकों के बिच होता है। जहां बैंक्स फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के बदले एक दूसरे को पैसा उधार देते है।

money market को RBI यानी रिजर्व बैंक औफ इंडिया रेग्यूलेट करती है।

Capital Market का मतलब। Capital market meaning

Capital Market वह मार्केट होती है जहां पर कंपनीज़ और गवर्नमेंट अपने फाइनेंशियल Asset’s जैसे शेअर्स, बॉन्ड इत्यादि को बेचकर लॉन्ग टर्म के लिए Fund’s यानी पैसा जुटाती है। यहां पर Long term का मतलब एक साल से ज्यादा टाइम के लिए जुटाया गया पैसा होता है।

कैपिटल मार्केट को ही हिंदी में पुंजी बाजार कहते है।

आसान भाषा में कहें तो कैपिटल मार्केट एक ऐसा स्थान होता है जहां पर कंपनीज़ और सरकार जिनको पैसों कि जरुरत है और जिनके पास निवेश करने के लिए पैसा है इनको मिलाने वाले स्थान को ही कैपिटल मार्केट कहा जाता है। यानी जिस मार्केट में एक साल से ज्यादा टाइम के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स कि ट्रेडिंग होती है उस मार्केट को capital market कहा जाता है।

कैपिटल मार्केट में मनी मार्केट से ज्यादा इन्वेस्टमेंट रिस्क होता है। लेकिन कैपिटल मार्केट में मनी मार्केट से ज्यादा रिटर्न भी मिलता है।

Capital Market को SEBI – Securities and Exchange Board of India रेग्यूलेट करती है।

कैपिटल मार्केट कैसे काम करता है। How capital market works

जब भी किसी कंपनी को अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए या किसी और काम के लिए पैसों कि जरुरत पड़ती है। तो वह कैपिटल मार्केट में अपने शेअर या डेबेंचर्स को बेचकर पैसा जुटाती है।

इसी तरह सरकार को भी जब अपने देश का infrastructure development या अन्य किसी काम को करने के लिए जब पैसों कि जरुरत पड़ती है। तब सरकार भी अलग अलग तरह अपनी प्रतिभूतियां जैसे सरकारी बॉन्ड, ट्रेज़री बिल, कैपिटल मार्केट में बेचकर पैसा जुटाती है।

इसे आसानी से समझने के लिए हम एक उदाहरण देखते है।

मान लेते है Relaxo Footwears Limited कंपनी जो फुटवेयर बनाती है। उसे अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए एक और फुटवेयर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना चाहती है। इसके लिए उसे ₹5,000 करोड़ रुपए कि जरुरत है।

तो Relaxo कंपनी आएगी Capital market में जहां पर बहुत सारे छोटे छोटे और बड़े निवेशक अपना पैसा कैपिटल मार्केट में निवेश करते है।

जहा पर यह पैसा Relaxo कंपनी को मिलता है। Relaxo कंपनी इससे अपना प्लांट लगाती है और निवेशकों को Relaxo कंपनी के कुछ शेअर्स मिलते हैं।

अब जैसे जैसे Relaxo कंपनी का बिजनेस बढ़ेगा वैसे वैसे निवेशकों को कंपनी की शेअर प्राइज बढ़ने से फायदा होगा और जब Relaxo कंपनी अपने प्रोफिट का कुछ हिस्सा Dividend के रूप में बांटेगी तब भी निवेशकों को एक इन्कम होगी।

इस तरह कैपिटल मार्केट से किसी भी कंपनी को जरूरी पैसा भी मिलता है और निवेशकों अच्छे रिटर्न्स के लिए निवेश करने का मौका भी मिलता है।

तो दोस्तों ऐसे कैपिटल मार्केट काम करता है।

Capital market के कार्य। function of capital market

यह कंपनियों के लिए capital जुटाने का सबसे अच्छा माध्यम है और सभी निवेशकों को निवेश करने के लिए विविधता प्रदान करता है जो पैसा बढ़ाने को प्रोत्साहित करता हैं।

कैपिटल मार्केट के मुख्य कार्य :-

  • कैपिटल मार्केट समाज के अलग अलग हिस्सों में पैसा जुटाने में मदद करता है और यह पैसा इंडस्ट्रीज ट्रेड और कैपिटल की जरूरत को पूरा करती है।
  • इन्वेस्टर्स और सेलर्स को मिलाने का काम कैपिटल मार्केट करता है। जिससे निवेशकों को निवेश का मौका और बिजनेसेस को जरूरी पैसा मिलता है।
  • अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद करता है।
  • कैपिटल मार्केट से इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट होने में मदद मिलती है। क्योंकि इंडस्ट्रीज को लगने वाला capital आसानी से मिलता है। जिससे औद्योगिक प्रगति होती है। बिजनेस बढ़ाने में सहायक होती है।
  • capital market से निवेशकों में सेविंग करने की अच्छी आदत लगती है। क्योंकि अन्य किसी जगह से ज्यादा रिटर्न capital market में मिलता है।
  • यह कंपनियों को और सरकार को लगने वाली पैसों की जरूरत को लगातार उपलब्धता प्रदान करता है।
  • यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स को जल्द और सही किमत देने में मदद करता है।

कैपिटल मार्केट के प्रकार। Types of capital market

दोस्तों जैसे Financial Market के दो प्रकार होते। Money Market और Capital market है वैसे ही Capital market के अंदर भी दो प्रकार होते हैं। primary market और secondary market

understanding of financial market and capital market in simple way
Financial market Tree

1. Primary Market

प्रायमरी मार्केट में नए सिक्योरिटीज जैसे की नए शेअर्स और बॉन्ड इश्यू किए जाते हैं। इसलिए प्रायमरी मार्केट को (New Issue market) न्यु इश्यू मार्केट भी कहा जाता है। प्रायमरी मार्केट में कंपनीज सीधे इन्वेस्टर्स को शेअर्स बेचती हैं। जिससे उन कंपनियों को Fund यानी पैसा मिलता है और जिन इन्वेस्टर्स ने उन कंपनियों में निवेश किया है वह उन कंपनीज के (shareholder) यानी भागीदार बन जाते है। यही पर IPO, FPO, और बॉन्ड्स को पहली बार बेचा जाता है।

2. Secondary Market

सेकंडरी मार्केट पहले से जारी किए गए सिक्योरिटीज़ को ट्रेड करने का मार्केट है। जिसे हम स्टॉक मार्केट कहते हैं। यही पर IPO आने के बाद शेअर्स लिस्ट होते है। प्रायमरी मार्केट में बेची गई सिक्योरिटीज़ को लिक्विडिटी प्रदान करने का काम सेकंडरी मार्केट करता है। यहां पर शेअर और बॉन्ड जैसे सिक्योरिटीज़ कि ट्रेडिंग होती है।

कैपिटल मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स। Capital Market Instruments

Capital market में कहीं सारे उपकरणों को खरीदा और बेचा जाता है। इनमें प्रमुख पांच प्रकार के उपकरण आते हैं।

  • Equity
  • Debt Securities
  • Derivatives
  • Exchange Traded Founds
  • Foreign exchange instruments

1. Equity

इक्विटी का मतलब कंपनी के शेअर्स से होता है। जब आप किसी कंपनी के शेअर्स खरीदते हैं तब आप उस कंपनी के उस छोटे हिस्से के मालिक होते है जो आपने capital market से खरीदा है। किसी भी कंपनी के शेअर्स सबसे पहले primary market में इश्यू होते हैं और वहां पर Sell होने के बाद वह Secondary Market में यानी stock market में ट्रेड होने लगते हैं।

2. Debt Securities

डेट सिक्योरिटीज़ मेनली सरकार और कंपनीयां जारी करती है। यह एक प्रकार का लोन जैसा ही कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें निवेशकों को एक फिक्स रिटर्न देने का वादा किया जाता है। यह एक low risk इन्वेस्टमेंट होता है।

डेट सिक्योरिटीज़ में दो प्रकार होते हैं।

1. Bond / बॉन्ड :

बॉन्ड एक फिक्स रिटर्न देने वाला उपकरण है। जिसे ज्यादातर सरकार अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में लगने वाले पैसों कि जरुरत को पूरा करने के लिए जारी करती है। इसके साथ ही कंपनीयां भी बॉन्ड जारी करती है। इसमें निवेशकों को फिक्स रिटर्न देने का वादा होता है।

साथ ही बॉन्ड एक फिक्स लॉक- इन अवधि के साथ आता है। यहां पर लॉक- इन अवधि पूरी होने के बाद बॉन्ड जारीकर्ता को बॉन्ड धारकों को उनकी निवेश कि राशी लौटानी पड़ती है।

2. Debentures/ डिबेंचर :

Debentures बॉन्ड के विपरित डिबेंचर असुरक्षित निवेश होता है। यहां पर भी बॉन्ड कि तरह फिक्स रिटर्न का वादा होता है। लेकिन अगर किसी कारण से डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी दिवालिया हो जाए तो निवेशकों को किसी तरह की सिक्योरिटी प्राप्त नहीं होती।

3. Derivatives

डेरिवेटिव एक प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट होते है। जो स्टॉक, बॉन्ड, करंसी और इंडेक्स का प्रतिनिधित्व करते हैं।

डेरिवेटिव चार प्रकार के होते हैं

  • Forward
  • Future
  • Options
  • Interest Rate Swap

डेरिवेटिव सेगमेंट ज्यादा रिस्की और ज्यादा रिटर्न देने वाला होती है।

4. Exchange-Traded Funds:

Exchange Traded Founds यह एक बहुत सारे उपकरणों का बास्केट होता है जिसमें आप निवेश कर सकते हैं। जैसे ETF के जरिए आप Gold और nifty 50 कंपनीयों में निवेश कर सकते हैं।

यह उन लोगों के लिए एक अच्छा निवेश हो सकता है जिन्हें स्टॉक मार्केट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। क्योंकि सारे ETF सेबी रजिस्टर है और स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड है। तो कोई भी इनमें आसानी से invest कर सकते हैं।

5. Foreign exchange instruments

Foreign exchange instruments का मतलब विदेश में होने वाले करंसी का कारोबार होता है। जहां पर करंसी डेरिवेटिव और करंसी का कारोबार होता है।

इसमें तीन प्रकार होते हैं।

  • Currency futures
  • Currency swaps
  • Currency options

How to Invest in these Instruments?

कैपिटल मार्केट में निवेश करने के लिए निवेशकों को सबसे पहले सेबी रजिस्टर ब्रोकर के साथ अपना ट्रेडिंग अकाउंट खोलना है। तब आप किसी भी उपकरण में निवेश या ट्रेडिंग करने के लिए सक्षम होंगे।

अकाउंट खोलने के बाद आप mytradview पर शेअर मार्केट के बारे में जानकारी ले सकते है और अपनी इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं।

समापन

Capital market किसी भी देश कि Economy के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे ना सिर्फ निवेशकों को निवेश का मौका मिलता है बल्कि कहीं सारे बिजनेस और सरकार को लगने वाले capital कि जरुरतों को पूरा भी करता है। कैपिटल मार्केट फाइनेंशियल मार्केट का ही एक भाग होता है। जिसमें सरकार और कंपनीयां long term के लिए कैपिटल जुटा सकती है।

FAQ

  1. मनी मार्केट और कैपिटल मार्केट में क्या अंतर है?

    मनी मार्केट में शॉर्ट टर्म के लिए पैसा जुटाया जाता है वहीं कैपिटल मार्केट में लॉन्ग टर्म के लिए पैसा जुटाया जाता है।

  2. प्रायमरी मार्केट और सेकंडरी मार्केट में क्या अंतर है?

    प्रायमरी मार्केट में नऐ सिक्योरिटीज़ को बेचा जाता है और सेकंडरी मार्केट में पहले से इश्यू सिक्योरिटीज़ को ट्रेड किया जाता है।

  3. कैपिटल मार्केट में और स्टॉक मार्केट में क्या अंतर होता है।

    स्टॉक मार्केट capital market का ही एक भाग होता है।

  4. Capital market को कौन रेग्यूलेट करता है?

    कैपिटल मार्केट को सेबी रेग्यूलेट करती है।

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