स्टॉक मार्केट में PE रेश्यो – अनुपात क्या है? What is PE Ratio In Hindi

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PE रेश्यो क्या है? Pe ratio kya hai,
P/E ratio meaning

PE Ratio का मतलब Price to Earnings Ratio होता है। जो स्टॉक मार्केट में किसी भी स्टॉक कि वेल्युएशन को समझने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले रेश्यो में से एक PE रेश्यो है।

शेअर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले हमें बहुत सारी चीज़ें का analysis करना पड़ता है। इसी में हमें कही सारे रेश्यों का भी एनालिसिस करना पड़ता है। इन्हीं में से एक PE Ratio है।

PE Ratio क्या होता है? कैसे स्टॉक मार्केट में PE रेश्यो का इस्तेमाल किया जाता है? पी/ई रेश्यो कितने प्रकार के होते है? कैसे हम nifty 50 का PE चेक कर सकते है और कैसे हम इसका analysis कर सकते है। यह सारी जानकारी आज हम इस पोस्ट के जरिए समझेंगे।

PE Ratio का इस्तेमाल कंपनी के शेअर की सही (value) यानी कीमत को समझने के लिए किया जाता है। यानी किसी शेअर कि मौजूदा कीमत ज्यादा चल रही है या कम चल रही है यह समझने के लिए पी/ई रेश्यो का इस्तेमाल किया जाता है।

इससे कोई स्टॉक overvalued है या undervalued है इसे समझने में मदद मिलती है।

P/E Ratio क्या है। What Is PE Ratio in Hindi

PE Ratio का मतलब Price to Earnings Ratio होता है। जो स्टॉक मार्केट में किसी भी स्टॉक कि वेल्युएशन को समझने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले रेश्यो में से एक PE रेश्यो है।

पी/ई रेश्यो हमें यह बताता है कि वह शेअर मार्केट में उसके EPS – earnings per share यानी पर शेअर इनकम के कितने गुना पर ट्रेड हो रहा है।

EPS का मतलब Earning par share होता है। यानी कंपनी अपने हर शेअर पर कितने पैसे कमा रही है। EPS को निकालने के लिए कंपनी के net income को total outstanding shares से भाग लगाया जाता है।

उदाहरण के लिए मान लेते है कि ABC कंपनी की net income 50,00000 (पचास लाख) है और उस कंपनी के पुरे मार्केट में outstanding shares 50,000 (पचास हजार) है। तो इस कंपनी का EPS = 50,00000÷50,000 = 100 रूपए प्रति शेअर होगा।

अब आप जान गए है कि EPS क्या होता है। अब हम समझते है PE Ratio को।

PE Ratio फोर्मुला। PE Ratio formula and example In Hindi

दोस्तों EPS को निकालने के बाद PE Ratio को निकालना आसान होता है। क्योंकि पी/ई रेश्यो को निकालने में EPS का उपयोग होता है।

पी/ई रेश्यो को निकालने के लिए करंट शेअर प्राइज को EPS से भाग लागाया जाता है। P/E Ratio का formula है P/E Ratio = correct share price ÷ EPS (Earning Par Share)

PE Ratio - Meaning, Examples, Formula, How to Calculate
PE Ratio – Formula, How to Calculate?

अब पी/ई रेश्यो को हम पीछले उदाहरण से समझने कि कोशिश करते है।

जैसे कि पिछले उदाहरण में हमने देखा कि ABC कंपनी का EPS यानी अर्निंग पर शेअर 100 रूपए निकला था। अब हम मान लेते है ABC कंपनी की correct share price 2000 रूपए चल रही है तो इस केस में पी/ई रेश्यो क्या होगा?

PE Ratio = 2000÷100 = 20

इसका मतलब यह हुआ कि आपको कंपनी से 1रूपया प्रोफिट कमाने के लिए 20 रूपए देने होंगे। यानी यह शेअर वर्ष भर में 100 रूपए कमाता है और इस 100 रूपए को कमाने के लिए आपको 20 गुना कीमत देनी होगी।

P/E Ratio कि कुछ विशेषताएं/ features of PE Ratio In Hindi

  • price to earning ratio पी/ई रेश्यो कंपनी के EPS यानी earings par share पर निर्भर होता है।
  • किसी कंपनी के High PE Ratio स्टॉक को overvalued माना जाता है और इन्वेस्टर्स भविष्य में इसमें अच्छी ग्रोथ कि संभावना देखते हैं।
  • जिन कंपनियों कि कोई कमाई नहीं हो रही या वह लॉस कर रही है तो यैसे कंपनियों का पी/ई रेश्यो नहीं निकाला जा सकता।
  • पी/ई रेश्यो दो प्रकार के होते है – forward PE और trailing PE
  • किसी कंपनी का उसी इंडस्ट्री के किसी और कंपनी के साथ वेल्युएशन एनालिसिस करने के लिए और एक हि कंपनी का अलग अलग समय का एनालिसिस करने के लिए pe ratio महत्वपूर्ण रेश्यो है।

P/E Ratio के प्रकार | Types of p/e ratio In Hindi

दोस्तों स्टॉक मार्केट में जब पी/ई रेश्यो एनालिसिस किया जाता है तो इसमें मेनली दो प्रकार के pe ratio को निकाल कर देखा जाता है।

इन दोनों तरीकों में PE Ratio का फोर्मुला एक ही रहता है।

1) Trailing P/E Ratio

इस पी/ई रेश्यो को निकालने के लिए कंपनी के पिछले तीमाही (quarter) के earning’s को लिया जाता है। जिससे इससे निकला PE Ratio सटीक होता है। (आपको बता दे की हर साल में 4 quarter होते है और हर quarter कंपनी अपने Earnings रिपोर्ट रिलीज करती है।)

2) Forward P/E Ratio

इस पी/ई रेश्यो को कंपनी के भविष्य की earnings का अंदाजा लगा कर निकाला जाता है। क्योंकि यह अंदाजे से निकाला जाता है यह 100% एक्युरेट नहीं होता। क्योंकि कंपनी की अर्निंग्स भविष्य में अंदाजे से कम या ज्यादा हो सकती है। forward p/e का उपयोग आम तौर पर किसी भी कंपनी के भविष्य की ग्रोथ को एनालाइज करने के लिए किया जाता है।

P/E Ratio का उपयोग एनालिसिस कैसे करें।

अब पी/ई रेश्यो को समझने के बाद इसका एनालिसिस कैसे करते है इसे समझते है। किसी भी स्टॉक के पी/ई का एनालिसिस आप अलग अलग तरीके से कर सकते हैं।

जैसे कि उसके पी/ई रेश्यो को आप उसी के पहले यानी (एक दो साल) के पी/ई से तुलना कर सकते है। जिससे आपको यह पता चलेगा कि वह अपने पिछले सालों कि तुलना में महंगा मिल रहा है या सस्ता।

hdfc bank past 5 year pe ratio data on monycontrol
hdfc bank last 5 year pe ratio

उदाहरण के लिए हमने ऊपर HDFC Bank का पिछले पांच साल का पी/ई रेश्यो दिया है। जिसमें आम देख सकते है की 2018 से कंपनी का पी/ई कैसे बढ़ रहा है।

साथ ही आप उसी कंपनी के पी/ई को उसी की compititor यानी प्रतियोगी कंपनियों के पी/ई रेश्यो से तुलना कर सकते है। जिससे आपको यह पता करने में मदद मिलेगी कि उसके प्रतियोगी कंपनियों के मुकाबले उसका पी/ई ज्यादा है या कम। इसी तरह आप pe ratio कि तुलना उसके सेक्टर पी/ई से भी कर सकते हैं।

hdfc bank peers company's pe ratio data on monycontrol
hdfc bank peers company’s pe ratio

उपर के चार्ट में अप HDFC Bank के pe ratio के साथ प्रतियोगी bank’s के pe ratio को भी देख सकते है। इसके जरीए आप अंदाजा लगा सकते है की कौन सी कंपनी ज्यादा वेल्युएशन पर ट्रेड कर रही है और कौन सी कंपनी कम वेल्युएशन पर ट्रेड कर रही है।

पर याद रहे कि सिर्फ पी/ई रेश्यो को देखकर किसी भी कंपनी के शेअर को खरीदना गलत है।

पी/ई रेश्यो का एनालिसिस करते समय यह भी समझना चाहिए कि अगर किसी कंपनी का पी/ई ज्यादा है तो वह ज्यादा क्यों है और किसी कंपनी का पी/ई अगर कम है तो वह क्यों कम है।

इसे हम आगे के एक उदाहरण से समझने कि कोशिश करते हैं।

EPS (Earning per share)Share PriceP/E Ratio
Company ARs.100Rs. 100010
Company BRs.100Rs. 200020

ऊपर दिए गए टेबल में आप देख सकते है कि कंपनी A का पी/ई 10 है और कंपनी B का पी/ई 20 है। ज्यादातर येसा माना जाता है कि जिस कंपनी का PE ज्यादा है वह कंपनी महंगी है और जिस कंपनी का PE कम है वह सस्ती है।

लेकिन क्या यह सच है? नहीं।

हर कम PE वाला शेअर सस्ता हीं होगा और हर ज्यादा PE वाला शेअर महंगा होगा यह जरूरी नहीं है।

1st year Earning2st year Earning3st year Earning
Company A8090100
Company B2050100

जैसे कि आप ऊपर देख सकते है कंपनी A का हर साल का प्रॉफिट 10% से बढ़ रहा है वहीं दुसरी तरफ कंपनी B का प्रॉफिट कंपनी A के मुकाबले हर साल ज्यादा % तेजी से बढ़ रहा है।

क्योंकि कंपनी A कि प्रॉफिट कमाने कि ग्रोथ कम है इसलिए मार्केट इसे कम PE दे रहा है। वहीं दुसरी तरफ कंपनी B का प्रोफिट ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है इसलिए मार्केट उसे ज्यादा वेल्यू यानी ज्यादा PE दे रहा है।

इसी लिए यह जरूरी नहीं है कि आप कम पी/ई वाले शेअर ही खरीदें। आप ज्यादा पी/ई वाले शेअर भी खरीद सकते है बस उस कंपनी की ग्रोथ अच्छी होनी चाहिए।

अब आप सोच रहे होंगे कि अच्छी ग्रोथ वाली कंपनिया हमें कम पी/ई में कैसे मिल सकती है।

तो दोस्तों ऐसा हो सकता है। बस आपको एक काम करना है। जिन कंपनियों में आपको निवेश करना है उन कंपनियों कि लिस्ट बनाएं।

लिस्ट में सिर्फ उन्हीं कंपनीयों को एड करें जिनकी पिछले सालों कि Earnings अच्छी हो। अब ऐसे कंपनियों के शेअर्स आप उस समय खरीद सकते है जब मार्केट में करेक्शन आए या मार्केट क्रेश हो।

जब भी मार्केट क्रेश होता है तो आपको अच्छे अच्छे कंपनियों के शेअर्स कम वेल्युएशन पर मिलते है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी के Earnings में कोई बदलाव नहीं होता लेकिन शेअर कि प्राईज कम होने से PE भी कम हो जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण आप 2020 के कोविड में हुए क्रेश को देख सकते है। उस समय आप अगर nifty 50 के किसी भी कंपनी में निवेश करते तो आपको अगले एक साल में बहुत अच्छे रिटर्न्स मिलाते।

कम PE Ratio होने का कारण

  • लो पी/ई होने का कारण हो सकता है सच में शेअर undervalued है।
  • कंपनी की ग्रोथ कम हो या फिर ग्रोथ निगेटिव में हो रही हो और कंपनी पर ज्यादा कर्ज हो।
  • कंपनी के भविष्य में ग्रोथ कि संभावना न होना।

ज्यादा P/E Ratio होने का कारण

  • हो सकता है स्टॉक सच में overvalued है।
  • हो सकता है कंपनी कि ग्रोथ अच्छी हो रही है।
  • या हो सकता है कंपनी के भविष्य कि ग्रोथ कि संभावना ज्यादा है।

तो जब भी आप किसी कंपनी के शेअर्स में pe ratio देखकर निवेश करने कि सोचे तो उपर दिएगए बातों काे ध्यान में रखकर ही शेअर्स को खरीदे।

पी/ई रेश्यो कि कुछ कमियां। disadvantages of p/e ratio In Hindi

किसी भी कंपनी कि value को एनालाइज करने में पी/ई रेश्यो काफी मददगार साबित होता है। लेकिन इसमें भी कुछ कमियां है। इन्हें ध्यान में रखकर ही आप किसी कंपनी का एनालिसिस करें।

  • PE रेश्यो को निकालने के लिए कंपनी के पिछले अर्निंग का उपयोग किया जाता है। लेकिन कंपनी कि भविष्य में अर्निंग्स कम या ज्यादा भी हो सकता है। तो भविष्य का pe भी कम ज्यादा हो सकता है।
  • PE Ratio को निकालते समय सिर्फ कंपनी के अर्निंग्स को ध्यान में रखा जाता है। लेकिन अच्छी अर्निंग्स वाली कंपनी पर कर्ज भी हो सकता है। इसीलिए आप पी/ई रेश्यो का एनालिसिस करते समय कंपनी के कर्ज पर भी ध्यान दें।
  • अगर एक कंपनी का पी/ई 15 है और दुसरे कंपनी का पी/ई 20 है तो यहाँ पर पहले कंपनी को सस्ता माना जाएगा। लेकिन पी/ई से आपको यह नहीं पता चलेगा कि कौन सी कंपनी ज्यादा तेजी से अर्निंग्स कर रही है।

Nifty 50 का PE Ratio कैसे चेक करें। How to check Nifty 50 PE Ratio

दोस्तों आप किसी भी कंपनी के पी/ई रेश्यो को moneycontrol कि साईट पर जाकर देख सकते है।

लेकिन आज हम यहां पर देखेंगे कि nifty 50 के PE Ratio को कैसे चेक कर सकते है और कैसे हम इसका उपयोग निवेश (investing) में कर सकते हैं।

1) सबसे पहले आप NSE कि Official साईट nseindia.com पर जाएं। जैसे निचे दिखाया गया है वहां आपको NSE कि पुरानी साईट देखने को मिलेगी वहां पर क्लिक करें।

open nse website

2) फिर आपको साईट के मेनु बार में दिख रहे Products सेक्शन में दिख रहे Indices ऑप्शन पर क्लिक करना है।

go products section and click indices button

3) यहां पर आप Historical Data सेक्शन में जाए। और जैसे निचे दिखाया गया है। P/E,PB & Div के निचे दिख रहे Search बटन पर क्लिक करें।

open historical data and go pe section and click Search button

4) यहां पर आप P/E सिलेक्ट करके आपको जिस डेट के बिज का pe देखना है वह डेट डाल कर Get Data पर क्लिक करके PE देख सकते है।

select pe and particular date

अब आप सोच रहे होंगे कि nifty का pe देखने से क्या फायदा होता है। तो आपको बता दें कि nifty का PE देखकर आप यह अंदाजा लगा सकते है कि पुरा स्टॉक मार्केट सस्ते वेल्युएशन पर ट्रेड कर रहा है या महंगे वेल्युएशन पर।

आपको आसानी से समझने के लिए हमने ऊपर nifty 50 का कोविड के समय का pe ratio का data निकाला है।

अगर आप इसे ध्यान से देखेंगे तो आपको दिखेगा कि जब हमारे देश में 2022 मार्च को लॉकडाउन घोषित हुआ उसके अगले ही दिन यानी 23 मार्च को मार्केट बुरी तरह से क्रेश हुआ था।

तब nifty का पी/ई 19.72 से सीधे 17.15 पर आ गया था।

ऐसे समय में आप सीधे nifty 50 में निवेश कर के भी पैसे कमा सकते है। जी हां आप निफ्टी 50 में निवेश कर सकते है और यह किसी कंपनी में निवेश करने से ज्यादा सुरक्षित तरीका है। लेकिन कैसे?

इसके लिए आप nifty 50 के इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं। यह उतना ही आसान है जितना किसी कंपनी के शेअर में निवेश करना।

समापन.

तो दोस्तों ऐसे आज हमने pe ratio के बारे में जाना कि कैसे पी/ई रेश्यो काम करता है। हम कैसे इसका एनालिसिस कर सकते हैं। साथ ही हमने देखा कैसे हम निफ्टी का पी ई देख कर मार्केट के बारे में अंदाजा लगा सकते है और उसमें invest करके कैसे पैसे कमा सकते है।

अगर आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगे तो आप इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से जरूर शेयर करें। और हमारे आर्टिकल से रिलेटेड कोई सवाल हो तो हमें कमेंट में ज़रूर पूछे।

FAQ

  1. PE Ratio क्या होता है?

    PE Ratio का मतलब Price to Earnings Ratio होता है। जो स्टॉक मार्केट में किसी भी स्टॉक कि वेल्युएशन को समझने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले रेश्यो में से एक PE रेश्यो है।

  2. PE Ratio कितना होना चाहिए?

    15 से 20 के PE को एक अच्छा PE Ratio समझा जाता है। जो ना कम है और ना ही ज्यादा है। लेकिन यह जरूरी नहीं की हर अच्छी कंपनी का PE Ratio आपको 15 से 20 के बीच में मिलें।

  3. P/E Raito कैसे निकालें?

    पी/ई रेश्यो को निकालने के लिए करंट शेअर प्राइज को EPS से भाग लागाया जाता है। P/E Ratio का formula है P/E Ratio = correct share price ÷ EPS (Earning Par Share)

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