ROE का मतलब होता है Return on Equity। यानी किसी कंपनी ने अपने Equity पर कितना रिटर्न कमाया यह आप ROE – Return on Equity से जान सकते हैं। किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले हमें कंपनी के कहीं सारे financial Ratio’s को देखना पडता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण Ratio है ROE – Return on Equity
क्योंकि ROE का सीधा संबंध कंपनी के प्रोफिट से जुड़ा होता है इसलिए स्टॉक मार्केट में यह एक महत्वपूर्ण रेश्यो में से एक माना जाता है। यहां तक कि दुनिया के सबसे सफल निवेशक वारेन बफेट का भी यह पसंदीदा रेश्यो मान जाता है। ROE से हमें किसी भी कंपनी के विकास यानी Growth को समझने में मदद मिलती है।
इसलिए आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे ROE क्या होता है? कैसे हम किसी भी कंपनी का ROE निकाल सकते हैं? किसी कंपनी का ROE कितना होना चाहिए? और कैसे हम सही तरीके से ROE का उपयोग कर सकते हैं? यह सारी जानकारी आज हम देखेंगे।
ROE का मतलब | ROE Meaning in Hindi
ROE का मतलब Return on Equity होता है। यानी किसी कंपनी ने अपने Equity या कंपनी में मौजूदा पैसों के इस्तेमाल से साल भर में कितना रिटर्न कमाया है यह हम ROE – Return on Equity से जान सकते हैं।
Return on Equity एक प्रॉफिटेबिलिटी रेश्यो है। जो हमें यह बताता है कि कंपनी ने अपने Equity यानी निवेशकों के पैसों से कितना रिटर्न निवेशकों को दिया है। ROE से हम किसी भी कंपनी के पिछले सालों के रिटर्न्स को देखकर उसकी प्रोफिट कमाने की शमता को जान सकते हैं।
आसान भाषा कहा जाएं तो किसी भी कंपनी में निवेशकों ने लगाएं हर 1 रूपए पर कंपनी ने कितना प्रतिशत रिटर्न जनरेटर किया यह हम Return on Equity से निकाल सकते है।
जिससे हमें निवेश करते समय सही कंपनी का चुनाव करने में आसानी हो।
Return on Equity को समझने के लिए आपको सबसे पहले Equity का मतलब क्या होता है? यह समझना महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में बताएं तो किसी भी कंपनी में उसके मालिक और निवेशकों ने लगाएं पैसों को ही Equity कहते है। और इसी इक्विटी के आधार पर कंपनी के मालिक और निवेशकों हिस्सेदारी प्राप्त होती है।
किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उस कंपनी ने पिछले सालों में निवेशकों को कितना रिटर्न कमा के दिया है यह जानना जरूरी होता है। इसके लिए आप Return on Equity रेश्यो का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ROE-Return on Equity कैसे निकालते है।
ROE-Return on Equity एक प्रतिशत के रूप में निकाला जाने वाला रेश्यो है। जिसमें पिछले सालों में निवेशकों के पैसों पर कंपनी ने कितने प्रतिशत रिटर्न जनरेटर किया है यह देखा जाता है।
किसी भी कंपनी का ROE को निकालने के लिए कंपनी के Net Income को कंपनी के Average Shareholders Equity से भाग लगाया जाता है। यहां पर Net Income का मतलब होता है Profit After Tax and Total Expenses। यानी कंपनी के रेवेन्यू में से सारे खर्चें और टैक्सेस को घटाने के बाद कंपनी के पास जो प्रोफिट बचता है उसे Net Income कहते है और कंपनी में शेअर धारकों ने लगाएं पैसों को shareholders equity कहते हैं।
यहां पर जिस साल कि आपने Net Income को लिया है उसी साल में कंपनी के सुरूवात से साल के खत्म होने तक जितनी Equity कंपनी के पास होती है उसे Acreage shareholders equity कहते है।
ROE-Return on Equity निकालने का Formula
इस फोर्मुला के उपयोग से केसे हम ROE निकाल सकते है। चलिए जानते हैं।
उदाहरण के लिए मान लेते है ABC Ltd नाम कि एक कंपनी है। जिसके पास 200 करोड़ रुपए की Average Shareholder’s Equity है और उस कंपनी ने पिछले साल में इस इक्विटी पर 30 करोड़ का Net Income जनरेटर किया है।
तो इस केस में इस कंपनी का ROE कितना होगा?
ROE = Net Income 30cr ÷ Shareholders Equity 200cr = 0.15 यानी प्रतिशत में ROE = 15% होगा।
यहां पर आप देख सकते है इस ABC Ltd कंपनी का ROE – Return on Equity करीब 15% तक निकला है। यानी इस कंपनी ने अपने इक्विटी पर करीब 15% तक का रिटर्न कमाया है। जो की एक average ROE है। इस तरह हम किसी भी कंपनी का return on equity निकाल सकते है।
ROE कितना होना चाहिए?
किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले हमें उस कंपनी का ROE जरुर चेक करना चाहिए। लेकिन किसी भी कंपनी का सही ROE कितना होना चाहिए जिससे हमें उसमें निवेश करने पर अच्छा रिटर्न मिल सकें।
तो यहां पर आपको बता दें कि किसी भी कंपनी का ROE अगर 15% या 20% है तो यह एक अच्छा Return on Equity माना जाता है और अगर कंपनी का ROE इससे ज्यादा हों तो यह और भी अच्छी बात है। क्योंकि किसी कंपनी का जितना ज्यादा Return on Equity होगा उस कंपनी से हमें उतना ही ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है।
लेकिन अगर किसी कंपनी का ROE 15% से कम है तो उस कंपनी में हमें ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना नहीं होती है।
तो क्या कम ROE वाली कंपनीयों में हमें निवेश नहीं करना चाहिए?
ऐसा नहीं है की हम कम ROE वाली कंपनीयों में निवेश नहीं कर सकते। आप निवेश कर सकते हैं। लेकिन आपको यह समझना होगा कि आखिर उस कंपनी का ROE क्यों कम है। किसी कंपनी का ROE कम हो और उस कंपनी के Financials अच्छे हो तो हम उसमें निवेश कर सकते है।
क्योंकि सिर्फ ROE देखकर किसी कंपनी में हमें निवेश नहीं करना चाहिए। ROE के साथ साथ हमें और भी कहीं सारे financial को देख कर ही किसी भी कंपनी ने निवेश करना चाहिए।
ROE कि कुछ कमियां।
return on equity से हमें कंपनी के profitability के बारे जानकारी मिलती है। जो किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले हमें जानना जरूरी होता है। लेकिन ROE को निकालने के लिए कंपनी के Net Income और shareholders equity का उपयोग किया जाता है। और कंपनी की Net Income और shareholders equity हर साल किसी कारण से कम ज्यादा भी हो सकती है।
इसलिए ROE का एनालिसिस करते वक्त इन बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
कहीं बार ज्यादा ROE वाली कंपनीयों को देखकर निवेशक उसमें निवेश करने के बारे में सोचते हैं। लेकिन हर बार ज्यादा ROE होना सही नहीं होता। अगर किसी कंपनी का ROE ज्यादा है तो वह ज्यादा क्यो है यह भी हमें देखना चाहिए।
क्योंकि कुछ कंपनियों का ROE इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि उन्होंने कहीं सारा (Debt) लोन लेके रखा है। इसलिए उनका ROE भी हमें ज्यादा लगता है। लेकिन ऐसा होता नहीं है।
इसलिए किसी भी कंपनी का ROE के साथ साथ उस कंपनी के Debt को भी हमें देखना चाहिए। अगर कंपनी पर debt है तो हमें सही Return on Equity निकालने के लिए ROCE को देखना चाहिए।
ROE का सही तरीक़े से उपयोग कैसे करें?
किसी भी कंपनी के ROE को निकालने के बाद उस ROE का सही तरीके से मुल्यांकन करना भी उतना ही ज़रूरी होता है। इसलिए किसी भी कंपनी के ROE को निकालने के बाद उसका सही Analysis करना चाहिए।
इसलिए जब आपको अच्छे ROE वाली कंपनी मिलें तो उस कंपनी के पिछले पांच से दस सालों तक का return on equity आपको चेक करना है। जिससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि कंपनी ने इसी साल अच्छा रिटर्न दिया है या हर साल कंपनी अच्छा रिटर्न देती है।
अगर कंपनी का ROE हर साल कुछ प्रतिशत बढ़ रहा है तो यह एक अच्छा संकेत है कि उस कंपनी की ग्रोथ अच्छे से हो रही है और आप उस कंपनी में निवेश कर सकते हैं।
लेकिन अगर किसी कंपनी के पिछले सालों का ROE कम है और मौजूदा ROE अचानक से बढ़ा हुआ दिख रहा है तो ऐसे कंपनी में निवेश करने से पहले आपको यह जानना जरूरी होगा कि ऐसा क्यों हुआ है।
दों कंपनीयों की तुलना के लिए ROE का उपयोग।
अगर किसी सेक्टर में आपको दो कंपनियों में से किसी एक में निवेश करना हो तो आप ROE का उपयोग कर सकते हैं। इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं।
ABC Ltd. | XYZ Ltd. | |
---|---|---|
Profit Before TAX (PBT) | 80,000 | 1,20,000 |
TAX (20%) | (16,000) | (24,000) |
Profit After TAX (PAT) | 64,000 | 96,000 |
Shareholders Capital | 1.50,000 | 2,50,000 |
Reserves | 60,000 | 1,00000 |
Average Shareholder’s Equity | 2,10,000 | 3,50,000 |
(64,000 ÷ 2,10,000) × 100 | (96,000 ÷ 3,50,000) × 100 | |
ROE = | 30% | 27% |
जैसे कि आपने उपर देखा कंपनी XYZ Ltd का Profit After Tax करीब 96,000 रूपया है जो कि कंपनी ABC Ltd के PAT = 64,000 रूपए से कहीं ज्यादा है।
लेकिन कंपनी ABC Ltd का ROE कंपनी XYZ Ltd से ज्यादा है। इसका मतलब कंपनी ABC Ltd कंपनी XYZ Ltd कि तुलना में निवेशकों के पैसों पर अच्छा रिटर्न कमा रही है।
इसलिए हम कंपनी ABC Ltd में निवेश कर सकते हैं। यहां पर ध्यान रखें कि किसी भी दो कंपनियों के ROE कि तुलना तभी करें जब दोनों कंपनीयां एक ही सेक्टर में काम कर रही हों।
Ending
किसी भी कंपनी को परखते समय हमें ROE का उपयोग जरूर करना चाहिए। लेकिन सिर्फ ROE को देखकर किसी भी कंपनी में निवेश करने का निर्माण नहीं लेना चाहिए। ROE के साथ ही हमें कहीं सारे financial को भी देखकर निवेशक का फैसला लेना चाहिए।
किसी भी कंपनी का ROE के साथ साथ उस कंपनी के Debt का भी हमें analysis करना चाहिए। इसी के साथ ही किसी कंपनी का ROE कम ज्यादा क्यों है यह भी हमें अच्छे से समझना चाहिए।
FAQ About ROE
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शेयर मार्केट में ROE क्या होता है?
ROE का मतलब Return on Equity होता है। यानी किसी कंपनी ने अपने Equity या कंपनी में मौजूदा पैसों के इस्तेमाल से साल भर में कितना रिटर्न कमाया है यह हम ROE – Return on Equity से जान सकते हैं।
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ROE कितना होना चाहिए?
किसी भी कंपनी का ROE कम से कम 15% होना चाहिए। 15% से 25% या उससे ज्यादा प्रतिशत का ROE अच्छा माना जाता है।
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ROE कैसे निकालते है?
किसी भी कंपनी का ROE को निकालने के लिए कंपनी के Net Income को कंपनी के Average Shareholders Equity से भाग लगाया जाता है। ROE का Formula है, ROE = Net Income ÷ Acreage shareholder’s equity
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